The 2-Minute Rule for bhairav kavach

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यो ददाति निषिद्धेभ्यः स वै भ्रष्टो भवेद्ध्रुवम्

ऊर्ध्व पातु विधाता च पाताले नन्दको विभुः।

चतुवर्गप्रदं नित्यं स्वयं देवप्रकाशितम् । (



सद्योजातस्तु मां पायात् सर्वतो देवसेवितः।।

इति श्रीब्रह्मकवचं भैरवस्य प्रकीर्तितम् ॥ २१॥

नैॠत्यां क्रोधनः पातु उन्मत्तः पातु पश्चिमे ।

बटुक भैरव भगवान शिव का एक रूप है और राक्षस ‘आपद’ को नष्ट करने के लिए भगवान शिव more info का एक अवतार है।

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पाणी कपाली मे पातु मुण्डमालाधरो हृदम्

कुंकुमेनाप्टगन्धेन गोरोचनैश्च केशरैः।

कालाष्टमी के दिन करें बटुक भैरव कवच का पाठ, मनचाही सिद्धियों की होती है प्राप्ति

आग्नेयां च रुरुः पातु दक्षिणे चण्ड भैरवः

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